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Thursday, August 15, 2013



सोना (स्वर्ण) बनाने का रहस्य --

भारत के गौरव्मान इतिहास को कोन नहीं जानता,यह तो विश्व व्यापी है की भारत एक ऋषि मुनियों का देश रहा है और सभी क्षेत्रों जैसे विज्ञानं गणित आयुर्वेद में बहुत पहले से सभी दुसरे देशों से आगे है| भारत में प्राचीन काल में ऐसे बहुत सी खोज हो चुकी थी जो की बाकी देशों ने कई सदियों बाद की| भारत शुरू से ही सोने की चिड़िया कहलाता रहा है जिसे न जाने कितने देश सदियों तक लूटते रहे लेकिन फिर भी इसका खजाना खाली ना कर पाए|



भारत के सोने की चिड़िया होने और यहाँ पर सोना बनाये जाने के बारे में हो सकता है कुछ जोड़ हो|
भारत देश में सेंकडों ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी आखों के सामने जड़ी बूटियों से पारा, ताम्बा, जस्ता, तथा चांदी से सोना बनते देखा है तथा आज भी देश में हजारों लोग इस रसायन क्रिया में लगे हुए हैं| अकेले बूंदी जिले (राज.) में ही सेंकडों लोग इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं| पूर्व में बूंदी के राजा हाडा प्रतिदिन क्विन्त्लों में चांदी का दान किया करते थे जो की मान्यताओं के अनुसार बुन्टियों के माध्यम से ही तैयार की जाती थी| इस पूरी प्रक्रिया में लोग पारे को ठोस रूप में बदलने की कोशिश करते हैं तथा गंधक के तेल से पारे का एक एलेक्ट्रोन कम हो जाता है तथा वो गंधक पारे को पीला रंग दे देता है|
2Hg+ S = Hg2S (-2e ) ( सोना)

देश के हजारों लोग मानते हैं की देश के कॉर्पोरेट जगत के बड़े बड़े उद्योगपतियों ने इन्ही जड़ी बूटियों के माध्यम से तथा साधुओं के सहयोग से टनों सोना तैयार किया है|

सोने के निर्माण में तेलिया कंद जड़ी बूटी का बहुत बड़ा योगदान है इसलिए पहले तेलिया कंद के बारे में जान लेते हैं|
तेलिया कंद एक चमत्कारी जड़ी बूटी है| देश विदेश के लोगों की रूचि को देखते हुए में तेलिया कंद के बारे में अपनी राय दे रहा हूँ|

तेलिया कंद एक चमत्कारिक पोधा है| जिसका सबसे पहला गुण परिपक्वता की स्थिति में जेहरीले से जेहरिले सांप से काटे हुए इंसान का जीवन बचा सकता है|
दूसरा ये पारे को सोने में बदल सकता है|

तेलिया कंद का पोधा 12 वर्ष उपरांत अपने गुण दिखता है| तेलिया कंद male और female 2 प्रकार का होता है|
इसके चमत्कारी गुण सिर्फ male में ही होते है| इसके male कंद में सुई चुभोने पर इसके तेजाबी असर से
वो गलकर निचे गिर जाती है| पहचान स्वरुप जबकि female जड़ी बूटी में ऐसा नहीं होता|

इसका कंद शलजम जैसा रंग आकृति लिए हुए होता है तथा पोधा सर्पगंधा से मिलती जुलती पत्ती जैसा
होता है| इसका पोधा वर्षा ऋतू में फूटता है और वर्षा ऋतू ख़तम होने के बाद ख़तम हो जाता है|
जबकि इसका कंद जमीन में ही सुरक्षित रह जाता है| इस तरह से लगातार हर मौसम में ऐसा ही होता है|
और ऐसा 12 वर्षों में लगातार होने के बाद इसमें चमत्कारिक गुण आते हैं| इसके पोधे के आसपास की जमीन का क्षेत्र
तेलिय हो जाता है तथा उस क्षेत्र में आने वाले छोटे मोटे कीड़े मकोड़े उसके तेलिये असर से मर जाते हैं|

हम लोगों ने पारस पत्थर के बारे में तो सुना ही होगा| पारस पत्थर पारे का ठोस रूप होता है जो प्रकर्ति में गंधक के साथ मिलकर उच्च दाब और उच्च ताप की
परिस्थितिओं में बनता है| उसी उच्च दाब और उच्च ताप की परिस्थितिओं में तेलिया कंद पारे को ठोस रूप में बदलने में सहायक होता है|

जैसा की आयुर्वेदिक के हिसाब से पारा शिवजी का रूप है और गंधक पार्वती का रूप है| उसी तर्ज पर पारा

[hg,80] + गंधक (sulphar) ------> उत्प्रेरक ( तेलिया कंद )

तेलिया कंद
Hg + S =============> gold
उत्प्ररेक


पारे को गंधक के तेल में घोटकर उसमे तेलिया कंद मिलाकर बंद crucible में गरम करते हैं| इस क्रिया में
पारे का 1 अणु गंधक खा जाता है| गंधक पारे में अपना पीला रंग देता है| तेलिया कंद पारे को उड़ने नहीं देता
तथा पारा मजबूर होकर ठोस रूप में बदल जाता है और वो सोना बन जाता है|


ये बूटी कहाँ मिलती है| हमारे knowledge के हिसाब से ये बूटी भारत के कई जंगलों में पायी जाती है| 1982 तक भीलों का डेरा mount abu में बालू भील से देश के सभी क्षेत्र के लोग ये बूटी खरीद के ले जाते थे| बालू भील का देहांत हो चूका है तथा उसके बच्चे इसकी अधिक जानकारी नहीं रखते|

इस बूटी का चमत्कार करते हुए अंतिम बार बूंदी में बाबा गंगादास के आश्रम 1982 में देखा गया था| आज भी देश में हजारों लोग खासकर काल्बेलिये और साधू इसके चमत्कारिक गुण का उपयोग करते हैं|

तेलिया कंद की जगह देश में अन्य चमत्कारिक बूटियां भी काम में ली जाती हैं जैसे रुद्रबंती, अंकोल का तेल, तीन धार की हाद्जोद इतियादी|

आज के व्यज्ञानिक युग में पारे और गंधक को मिलाकर अन्य जड़ी बुटिओं को इस्तेमाल करके भी व्यग्यानिकों को इसपर काम करना चाहिए| क्यूंकि पारे का 1 एलेक्ट्रोन कम होते ही और गंधक में जाते ही वो पारा ठोस रूप में आके सोने में बदल सकता है| ऐसे कोई भी जडीबुटी जो पारे को गरम करने पर उड़ने से रोक सकती है और गंधक के तेल के साथ क्रिया करने पर पारे को सोने में बदल सकती है|

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INDIA-RUSSIA, India
Researcher of Yog-Tantra with the help of Mercury. Working since 1988 in this field.Have own library n a good collection of mysterious things. you can send me e-mail at alon291@yahoo.com Занимаюсь изучением Тантра,йоги с помощью Меркурий. В этой области работаю с 1988 года. За это время собрал внушительную библиотеку и коллекцию магических вещей. Всегда рад общению: alon291@yahoo.com